Monday, May 9, 2011

आस्था पर भारी धर्मान्धता


हिदुंस्तान एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट है हर व्यक्ति को अपना धर्म मानने की पूरी आजादी है और यह आजादी भारत के वहद संविधान ने दी है जितनी तेजी से आधुनिकता और पश्चिमी सभ्यता अपनी जडे फैला रहे हैं उतनी ही तेजी से धर्मांधता भी बढ रही है आज हिंदूस्तान का कोई युवक अगर अमेरिका नौकरी के लिए जाता है तो घर से दही खाकर और नारियल फोडकर निकलता है क्योंकि यह एक धार्मिक और सांस्कतिक परपंरा है अगर हम अपनी संस्कति और परपरा से सच्चाई से विश्वास करते हैं तो ये बहुत ही अच्छी बात हैं क्योंकि यही चीजें राष्ट को पहचान देती हैं लेकिन जब इनमें रूढियां, आडबंर, कटटरता और हठधर्मिता जैसे तत्व आ जाते हैं तो फिर यही संस्कृति और परंपरा हमारे मानव मूल्यों और दैनन्दिन जीवन पर बोझ सा लगने लगती है
किसी इंसान को भगवान मान लेने का एक चलन सा चल पडा है कुछ साल पीछे अगर जाएं तो ओशो भगवान रजनीश, शिरडी के साईं बाबा, मथुरा के जयगुरूदेव आदि ऐसे कई नाम है जिन्हें हम भगवान का दर्जा दे चुके हैं और अभी आशाराम बापू, सत्य साईं बाबा, संत निंरकारी महाराज, श्री श्री रविशंकर, दक्षिण भारत की अम्मा आदि ऐसे कई नाम हैं जो मुमकिन है कि आने वाले दिनों में ये भी भगवान कहलाए हमारी अगली पीढी जो इनके कुकृत्यों से अंजान होगी और इनको भगवान मान बैठेगी क्या चैरासी लाख देवता कम पड गये थे जो हम खुदाओं की फेहरिस्त लंबी करते जा रहे हैं 
एक अंग्रेज फिलासफर ने कहा है कि " the God, who is prooved, is not the God"  यानी अगर ये सिद्व हो जाए कि फलां व्यक्ति भगवान है तो वो भगवान हो ही नहीं सकता. भगवान की सत्ता इतनी कमजोर नहीं कि किसी भी उपदेशक, धर्मगुरू या दार्शनिक को ही भगवान मान लिया जाए ऋगवेद कहता है "एकुम ब्रहम दूति नि: नि: नास्ति, ना किं चन्न" जिसका अर्थ है ईश्वर एक है, दूसरा नहीं है और न कभी होगा.
काबिले गौर बात यह है कि ऐसी धर्मांधता को बढावा देने वाला हमारा धनाढय और कुलीन वर्ग र्है आज सारे बाबाओं को पूजींपतियों का संरक्षण प्राप्त है। जो हाई प्रोफाइल सोसाइटी के नीति नियंता है और इस  कलियुग में बाबाओ, मुल्लाओं की कुछ बातों का अनुसरण कर उनको भगवान के अवतार के रूप में मानने लगते हैं और धार्मिक टीवी चैनलों के जरिए इसका प्रचार प्रसार भी करते हैं दरअसल ऐ बाबा लोग कुछ धार्मिक किताबों को पढकर, उन्हीं का उद्वरण अपने स्वयं से करते हैं और जनता ये समझती है कि बाबा न कोई चमत्कारिक बात बताई है 
इंसान कैसे कुछ संयोगों के कारण भगवान बन जाता है इसकी एक घटना यहां प्रस्तुत है पिछले साल उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में एक साधारण सा व्यक्ति अपनी मोटर साइकिल पर होकर कहीं जा रहा था अचानक एक मोड आया और उसकी बाइक फिसल कर सडक के किनारे खडड में गिर पडी वो आदमी तुरंत वहीं पर मर गया यह घटना आई गई हो गई कुछ दिनों के बाद उस घटनास्थल पर एक्सीडेंट की घटनाएं रोज होने लगी क्योंकि लोगों के दिलोदिमाग में उस के भूत बनने का भ्रम भर गया था एक दिन एक बाबा जी आए और वहां के सीधे साधे निवासियों से कहने लगे कि अब इस मोटरसाइकिल वाले बाबा की पूजा करनी होगी तभी ये घटनाए रूकेंगी और आज स्थिति ये है कि वहां बाकयदा एक मोटर साइकिल वाले बाबा के नाम से मदिर है और एक पुजारी भी है। लोग रोज वहां पूजा करने जाते है
यह घटना संयोगवश जिस तरह से देवत्व की कहानी का रूप ले चुकी है उससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह बेचारी जनता इन चंद ढोंगी बाबाओ और कठमुल्लाओं के चंगुल में फंस चुकी है आस्था का सवाल आने पर हमारा प्रशासन भी कुछ नहीं करता क्योकि उसमें भी तो ढेर सारे अंधभक्त हैं 
 आज हिदुंस्तान में कोई ऐसा बाबा नहीं जिस पर यौनशोषण और सेक्स रैकेट चलाने का आरोप न हो ऐसे हालात को देखते हुए प्रशासन को एक ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे घर्म की आड में इस तरह के ढोंगी तत्व देश में पैदा न हो सकें।

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