तू... सर्दियों की धूप सी
गुनगुनी...
तू... सर्दियों की धूप सी
मिनमिनी...
तू... सर्दियों की धूप सी
शीरी-शीरी...
तू... सर्दियों की धूप सी
नग्मगी...
तू... सर्दियों की धूप सी
चुलबुली...
तू... सर्दियों की धूप सी
खिलखिली...
तू... सर्दियों की धूप सी
सन्दली...
तू... सर्दियों की धूप सी
मखमली...
तू... सर्दियों की धूप सी
आसपास...
तू... सर्दियों की धूप सी
खास-खास...
तू... सर्दियों की धूप सी
एक लिबास...
तू... सर्दियों की धूप सी
बेशनास...
sardiyon kee dhoop mein rami gunguni prastuti..
ReplyDeletebadiya rachna..
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 15 अप्रैल 2017 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
सुंदर !
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete