तुम अनाज उगाओगे
तुम्हे रोटी नहीं मिलेगी,
तुम ईंट-पत्थर जोड़ोगे
तुम्हें सड़क पर सोना होगा,
तुम कपड़े बुनोगे
और तुम नंगे रहोगे,
क्योंकि अब लोकतंत्र
अपनी परिभाषा बदल चुका है
लोकतंत्र में अब लोक
एक कोरी अवधारणा मात्र है,
सत्ता तुम्हारे हाथ में नहीं
पूंजी के हाथ में है
और पूंजी
नीराओं, राजाओ, कलमाडियों,
अदाणियों, अंबानियों और टाटाओं के हाथ में है,
तुम्हारी जबान, तुम्हारी मेहनत
तुम्हारी स्वतंत्रता, तुम्हारा अधिकार
सिर्फ संवैधानिक कागजों में है
हकीकत में नहीं,
तभी तो,
तुम्हारी चंद रुपये की चोरी
तुम्हें जेल पहुंचा देती है
मगर,
उनकी अरबों की हेराफेरी
महज एक
राजनीतिक खेल बनकर रह जाती है...
तुम्हे रोटी नहीं मिलेगी,
तुम ईंट-पत्थर जोड़ोगे
तुम्हें सड़क पर सोना होगा,
तुम कपड़े बुनोगे
और तुम नंगे रहोगे,
क्योंकि अब लोकतंत्र
अपनी परिभाषा बदल चुका है
लोकतंत्र में अब लोक
एक कोरी अवधारणा मात्र है,
सत्ता तुम्हारे हाथ में नहीं
पूंजी के हाथ में है
और पूंजी
नीराओं, राजाओ, कलमाडियों,
अदाणियों, अंबानियों और टाटाओं के हाथ में है,
तुम्हारी जबान, तुम्हारी मेहनत
तुम्हारी स्वतंत्रता, तुम्हारा अधिकार
सिर्फ संवैधानिक कागजों में है
हकीकत में नहीं,
तभी तो,
तुम्हारी चंद रुपये की चोरी
तुम्हें जेल पहुंचा देती है
मगर,
उनकी अरबों की हेराफेरी
महज एक
राजनीतिक खेल बनकर रह जाती है...
bahut umda
ReplyDeleteSuper nice line
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