Thursday, October 20, 2016

नाकाबिले-कुबूल तलाक-तलाक-तलाक

भारत में कुछ मसलों के जिन्न ऐसे हैं, जो अक्सर बोतल से बाहर निकल आते हैं या फिर हमारी राजनीति उन्हें बाहर उछाल दिया करती है. ऐसा ही एक जिन्न है तीन तलाक का, जो बीते एक साल से बोतल के बाहर आया हुआ है. बीते 7 अक्तूबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर यह कहा है कि तीन तलाक मुसलिम महिलाओं के अधिकारों पर कुठाराघात करनेवाली व्यवस्था है, इसलिए इसे खत्म किया जाना चाहिए. मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन इसे लेकर कई मुसलिम संगठनों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है यह कहते हुए कि यह मजहबी मामलों में केंद्र सरकार की दखलअंदाजी है. भारत में इस्लामी कायदे-कानून की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है, जिसका मानना है कि सरकार मुसलमानों के मजहबी अधिकारों पर हमला कर रही है. गौरतलब है कि इस तीन तलाक की व्यवस्था को खत्म करने को लेकर भारत में समय-समय पर मुसलिम महिलाएं आवाज उठाती रही हैं, और मांग करती रही हैं कि तलाक की कोई संवैधानिक व्यवस्था बनायी जाये. इसी सिलसिले में भारतीय मुसलिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) की सह-संस्थापक नूरजहां सफिया नियाज ने तीन तलाक के बाद मुसलिम औरतों की बदहाल जिंदगी को देखते हुए मुसलिम फैमिली लॉ का कोडिफिकेशन करने की मांग की है. एक नजर में यह बात अच्छी तो लगती है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. 
           तीन तलाक के मसले को लेकर पर्सनल लॉ बोर्ड और बाकी मुसलिम संस्थाएं सुधार की बात तो करती हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म करने पर विचार नहीं करतीं. एक बार में तीन तलाक कह कर बीवी को तलाक दे देना गलत ही नहीं, बल्कि कुरान और शरीयत के ऐतबार से भी गलत है. कुरान में साफ-साफ आता है कि तलाक बहुत ही खराब चीज है और यह तब तक नहीं होना चाहिए जब तक कि पति-पत्नी के बीच सुलह की कोई गुंजाईश बची रहे. एक बार में तीन तलाक कह कर रिश्ते खत्म कर देना, मेल या व्हॉट्सएप्प से तलाक दे देना, फोन करके या चिट्ठी लिख कर तलाक दे देना कत्तई इस्लामी तरीका नहीं है. कुरान में आता है कि तलाक तभी जायज हो सकता है, जब तलाक देते वक्त पति और पत्नी दोनों के घर वाले हों और दाेनों तरफ से सुलह-समझौते की सारी कोशिशें बेकार हो गयी हों. जाहिर है, जब निकाह के लिए दो गवाहों की जरूरत होती है, तो फिर तलाक कोई ऐसे ही तीन बार कह कर कैसे दे सकता है? कुरान में आता है कि तलाक तीन महीने में तीन बार रुक-रुक कर दिया जाये, क्योंकि हो सकता है कि इस बीच पहली बार तलाक देने के बाद भी पति-पत्नी में रंजिश खत्म हो जाये और वे दोनों तलाक पर राजी ही न हों. तलाक का यही सबसे अच्छा तरीका है, न कि एक बार में तीन तलाक कहकर रिश्ते खत्म करना. यही वजह है कि दुनिया के तकरीबन दो दर्जन मुसलिम देशों ने तीन तलाक की इस गंदी व्यवस्था को अपने यहां खत्म कर दिया है.