दरीचा
Thursday, March 24, 2011
त्रिवेणी
ज़रा सा जाग लूँ कि मैं जी लूँ
नींद का क्या है मौत जैसी है
नींद आये कि जैसे मौत आये
1 comment:
krishnakant
March 26, 2011 at 6:24 AM
मौत मुंसिफ है सब पे आती है.........
एक दिन तो आएगी बच्चू...
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मौत मुंसिफ है सब पे आती है.........
ReplyDeleteएक दिन तो आएगी बच्चू...