भीगते हुए अचानक
एक लम्हे के लिए
आ गया मैं उसकी छतरी में
एक लम्हे के लिए
मैंने उसे देखा
और उसने मुझे देखा
एक लम्हे के लिए
हम दोनों मुस्कुराए
एक दूसरे का शुक्रिया किया
और आगे बढ गये
एक लम्हे के लिए ऐसा लगा
मैंने उसे जिया
और उसकी खामोश गहरी आंखों में
अपनी जिंदगी रखकर
मैं आगे बढ गया जैसे
एक लम्हे के लिए ऐसा लगा
जितना दूर होता गया उससे
ठीक उतना ही
पास होता गया उसके
एक लम्हे के लिए
आह! किसी के लिए फकत
एक लम्हे के लिए जीना भी
एक खूबसूरत जिंदगी का जीना है
बहुत खूबसूरत लगी आपकी ये कविता...
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