ये आतिशबाजियां है या तेरा हुस्न जगमगाता है ।।
मिला जो शब से आब, हुआ शबाब मुकम्मल।
तेरा शुक्र तु शब है, तो मुझे भी आब बना दे।।
दिल तंग चरागों के पुरनूर रहे शब भर
पर देख उजालों को बेनूर सुबह दम थे।
समझे थे जिन्हें मोती हम शब के अंधेरे में
देखा जो सुबह तो सब कतरा-ए-शबनम थे।।
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