चाँद के आंगन में
कितनी रातें काट दी तुमने
तारों के दाने चुनते-चुनते
तेरा इंतज़ार आवाज देकर
बुलाता रहा मुझको
मैने भी कितनी बार चाहा
कि तुम तक
लम्हों के सन्देश भेज दूँ
मगर इत्तफाक ने
कभी मौका ही नहीं दिया
अधूरी सांस लिए
हम जी तो सकते हैं
मगर मौत को तो
पूरी की पूरी साँस चाहिए
हिसाब की बहुत पक्की है वो
और वक़्त की पाबंद भी।
देखो न!
कितनी देर से
खड़ी है वो मेरे पास
अब, आ भी जाओ
के एक पल के लिए ही सही
हम पूरी साँस तो जी लें।
कितनी रातें काट दी तुमने
तारों के दाने चुनते-चुनते
तेरा इंतज़ार आवाज देकर
बुलाता रहा मुझको
मैने भी कितनी बार चाहा
कि तुम तक
लम्हों के सन्देश भेज दूँ
मगर इत्तफाक ने
कभी मौका ही नहीं दिया
अधूरी सांस लिए
हम जी तो सकते हैं
मगर मौत को तो
पूरी की पूरी साँस चाहिए
हिसाब की बहुत पक्की है वो
और वक़्त की पाबंद भी।
देखो न!
कितनी देर से
खड़ी है वो मेरे पास
अब, आ भी जाओ
के एक पल के लिए ही सही
हम पूरी साँस तो जी लें।
Very touching & Great
ReplyDeleteतेरा इंतज़ार आवाज देकर
ReplyDeleteबुलाता रहा मुझको..
वाह... क्या बात कह दी...
अधूरी सांस लिए
ReplyDeleteहम जी तो सकते हैं
मगर मौत को तो
पूरी की पूरी साँस चाहिए
Dil ko choo lene waali pankti .. Mubarak baad